तेरे बिना—–एक साल
एक साल –हर लम्हा,
कितना तनहा
तेरे बिना —
एक आँगन, छत बिना
गलियारा इक, बिना रौशनी,
बिखरते पल हैं राहें में
ले के आँखों की नमी
एक शाम उदास सी
कब साथ तेरे गुजर गई
सारी जि़नदगी का तप्सरा
बस आखिरी वो साँझ थी
अब एक साल तेरे बिना
अब एक उम्रतेरे बिना
हर लम्हा कितना तनहा
तेरे बिना—–
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