kavita
- 142 Posts
- 587 Comments
इक नदी का किनारा हो और कोई खेवनहारा हो
हसरत ही रही जीवन में इक कोई चाहने वाला हो
कोई मिला, कोई मिला नहीं ;कश्तियाँ सूनी पडी
इस पार से उस पार जाने की हसरत ;हसरत ही रही ll
कुछ याद आता है कभी, कोई हाथ था मेरे हाथ में– ?
कोई वादा सुनाई देता है इन धुल उड़ाती फ़िज़ाओं में ?
बारिशों भरी इक शाम का वादा था वो शायद
किसी नाव में कहीं दूर जाने का वादा वो था शायद–!
वो नाव है सूनी खड़ी वो बारिशें भी आ के जा चुकीं
जो कुछ हुआ वो सच नहीं इक ख्वाब सा ही था शायद
वो जो भी था आया नहीं मेरा मुकद्दर था शायद ll
इक समंदर रेत का पसरा रहा यूँ दरमियान
औरकतरा कतरा ज़ज़्ब यूँ ज़िंदगी होती रही
इंतज़ार पलता रहा हसरतें पलती रहीं
ये नाव है आज भी इक किनारे पर सूनी हीखड़ी ll
Read Comments