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ज़िंदगी

kavita
kavita
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चलेगी ज़िंदगी थमेगी ज़िंदगी  मगर
फिर भी बहती रहेगी ज़िंदगी
वक़्त की इक बयार है महकती रहेगी
बारिश की फुहार है बरसती रहेगी
न तेरे लिए न मेरे लिए ;
रंग बस अपने लिए,बदलती रहेगी ज़िंदगी
समय की कतार है निकलती रहेगी

आज हम हैं कल हम न होंगे
हर नज़ारा रहेगा बस हम न होंगे
जो निर्जीव है वो थमा ही रहेगा
जो जीवन का मेला है बढ़ता रहेगा ll

इसको क्या रोना इसका गम भी क्या
जो है ,आज है ;कल न रहेगा
जीवन का सच है न बदल पायेगा

वक़्त दिया है दाता ने रिश्ते सम्हाल लो
कुछ कीं  हो कभी तो
गलतियां सुधार लो
वक़्त रुकता नहीं किसी के लिए
ये हकीकत समझ ले हर इक आदमी

तो ज़िंदगी में न ज़िंदगी थम पाएगी कहीं
उदास न होना तू की ज़िंदगी ठहर गयी
बस यूँ समझना की कुछ आगे निकल गयी
तू खुद ही तो ज़िंदगी है तू ही वक़्त की वो धार
जब तलक है तू ज़िंदगी चलती ही रहेगी

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