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हंसी वो कच्ची सी ;

kavita
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हंसी ;जो अंदर से निकलती है;
आँखों से छनती है, होठों पे महकती है ,
तपती हुई धुप के मौसम में ,
बारिश सी बरसती है l
तपी हुई लाल , मिट्टी की झांझर में ,
धरे पानी सी ,सोंधी मिट्टी सी ,महकती है ;
कच्ची मकई के दूधिया दानों की तरह,
ऊँचे पर्वत से झरते हुए झरनों का तरह,
दूध सी उजली ,मोती सी दमकतीवो हँसी;
हंसी वो कच्ची सी; बचपन की है


दुनिया की सबसे प्यारी नियामत है ये ,
उजास की किरण है ,धुप में छाँव है ये
ओझल न होने देना  बस, मेरी गुजारिश हैये
आज चाहे बेमोल लगे कल की जरूरत है ये

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