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इतनी अना-किसके लिए

kavita
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खो गयी है आवाज़ गुम गए हैं खयाल कुछ आँधियों सा शोर है बस –
साफ़ नज़र आता नहीं कुछ जाने कितबे सफ़र बीत रहे हैं ज़हन में
कुछ पल टूटे टूटे से ;बिखरे बिखरे से कुछ लम्हे ,कुछ हंसते ,कुछ रोते
कुछ खिलखिलाते ,कुछ रूठे से मुंह फुलाए भी; बस बीत रहे हैं मन में
बेला अब विदा की है ,कैसे शिकवे, कैसी शिकायतें ,कैसी नाफर्मानियाँ
कितनी बदगुमानियां ले कर कैसे होगा सफ़र पूरा ;बस और नहीं -!
चलो मिलते हैं ,मिल के हंस लेते हैं ,रो लेते हैं -याद कर लेते हैं वो सब
जो तूने किया था कभी मेरे लिए या कभी शायेद मैंने तेरे लिए –
इतनी अना किसलिए इतने गिले किसलिए— किसके लिए

खो गयी है आवाज़ गुम गए हैं खयाल कुछ आँधियों सा शोर है बस –

साफ़ नज़र आता नहीं कुछ, जाने कितने सफ़र बीत रहे हैं ज़हन में

कुछ पल टूटे टूटे से ;बिखरे बिखरे से कुछ लम्हे ,कुछ हंसते ,कुछ रोते

कुछ खिलखिलाते ,कुछ रूठे से मुंह फुलाए भी; बस बीत रहे हैं मन में

बेला अब विदा की है ,कैसे शिकवे, कैसी शिकायतें ,कैसी नाफर्मानियाँ

कितनी बदगुमानियां ले कर कैसे होगा सफ़र पूरा ;बस और नहीं -!

चलो मिलते हैं ,मिल के हंस लेते हैं ,रो लेते हैं -याद कर लेते हैं वो सब

जो तूने किया था कभी मेरे लिए या कभी शायेद मैंने तेरे लिए –

इतनी अना किसलिए इतने गिले किसलिए— किसके लिए..

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