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मोदी तेरी काशी

kavita
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तू इसका ये तेरी है अब बस मोदी तेरी काशी

जोशी जी जब जोश खो चुके और अखिलेश्वर जी माया

महादेव ने तुझको सौंपा अब इसका सरमाया

दुनिया की बस नज़र लगी है कैसी होगी काशी

मत बूझ इसे आभासी- ये है तेरी काशी

कब लोगे तुम घाटों की सुध ,कब लोगे गायों  की

कब लोगे तुम बिजली की सुध, कब लोगे चरखों की

पूछ रही है जनता तुमसे तेरी  इसी काशी की

साफ़ नहीं है शहर हमारा तुमने किया था वादा

पूछ रहे हैं तुमसे वोभी —

पीक थूकने में सड़कों पर न मिनट लगाते आधा.

न मिनट लगाते आधा कहते हैं काशी के बाशिंदे-

क्यूँ बिजली रहती नहीं यहाँ चौबीस में से बाईस घंटे

क्या गलत किया हमने तुमको यहाँ का महिपाल बना कर

कुछ लोगों को तुम रास न आये हो ये भी पहचानो

कोई करम न छोड़ेंगे वो  कहने में किअच्छे दिन कब आये

देश सम्हालो ,दुनिया देखो, सीमा देखो ,सोना और खजाना देखो

सब देखो मोदी जी लेकिन काशी सबसे पहले देखो- क्यूंकि

अब काशी तुमसे -तुम काशी से जुड़े हुए हो ऐसे

गंगाजल और शहद परस्पर मिल जाते हों जैसे

मिल जाते हों जैसे ,सुन लो मेरी बात महोदय

करो काशी का उद्धार ,करो आभार कि

इसने  तुम्हे ही मन से है अपनाया

महादेव के बाद तुम्ही में अपना विश्वास जताया

गुजरात तुम्हारी जन्म भूमि है देश तुम्हारी मात्रि  भूमि

और काशी तेरी कर्मभूमि है धर्म भूमि है जन भूमि है

जन में विश्वास जगाया तुमने अब जग को सरसाओ

सुर विरोध में उभरें उस से पहले कुछ चमत्कार दिखलाओ.

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