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मासूम सवाल

kavita
kavita
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आँखें —वो खामोश ,निश्शब्द आँखें —
किसी मासूम की थीं ,
जिनमें इंतज़ार अपनी माँ का था
अब कौन बताये उसे ;कौन समझाए
किसी दरिंदगी का शिकार हो  के
शायद पडी हो कहीं —
चीख पुकार ;बहस- ओ -मुसहिबे
चल रहे होंगे दुनिया के
कुछ छींटा -कशी ;कुछ शिकवे शिकायतें ;
कुछ कीचड उछालने के दौर जारी होंगे
क्यों हुआ, क्या हुआ ,कब हुआ ,कैसे हुआ
——की दरियाफ्त जारी होगी —
मगर उन आँखों का इंतज़ार ख़त्म होगा कभी ?
एक लम्बे सफर पे हैं ये सवाल भी
कुछ आंसुओं के साथ —-
———आखिर क्यों –?
आँखें —वो खामोश ,निश्शब्द आँखें —
किसी मासूम की थीं ,
जिनमें इंतज़ार अपनी माँ का था
अब कौन बताये उसे ;कौन समझाए
किसी दरिंदगी का शिकार हो  के
शायद पडी हो कहीं —
चीख पुकार ;बहस- ओ -मुसहिबे
चल रहे होंगे दुनिया के
कुछ छींटा -कशी ;कुछ शिकवे शिकायतें ;
कुछ कीचड उछालने के दौर जारी होंगे
क्यों हुआ, क्या हुआ ,कब हुआ ,कैसे हुआ
——की दरियाफ्त जारी होगी —
मगर उन आँखों का इंतज़ार ख़त्म होगा कभी ?
एक लम्बे सफर पे हैं ये सवाल भी
कुछ आंसुओं के साथ —-
———आखिर क्यों –?

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