कब आओगे -मोरे अंगना kavita ...जिस्म अब ख़त्म हो और रूह को जब सांस आये .. मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको ..... इंतेहा कब आओगे पाहुन मोरे अंगना
सावन भी अब जावन को हैसावन भी अब जावन को है
नीर नयन बदरी बनबन जल छलकावत
आओगेकब साजन तुम अब मोरे अंगना
राह ताकत दिन मास हो गए मास हो गए साल
अबहूँ तोरी आस न छूटी टूटी साँसन की जयमाल
टूटी साँसन की जयमाल सखी री कहना उनसे
उड़तापाखी उन्हें पुकारे जब वो आएं मेरे द्वारे
सूखे फूल से खुशबू यूँ तो उड़ जाती है
याद तुम्हारी मेरे दिल से कभी गयी ना
और आस भरे ये नैन अभी तक बाट निहारें
राह तुम्हारी तक तक कर अब देर हो गयी
नयन मूँद कर लेटी दो पल ना जानो अबेर हो गयी
इस सृष्टि का ये नियम है लगा है आना जाना
इस जनम नहीं ना सही
उस जनम भी तुमको पड़ेगा आना
कब आओगे पाहुन मोरे अंगना
विकल नयन हो बेकल पल पल राह निहारे
सावन भी अब जावन को है
नीर नयन बदरी बनबनकर जल छलकावें
आओगेकब साजन तुम -अब मोरे अंगना
राह तकत दिन मास हो गए; मास हो गए साल
अबहूँ तोरी आस न छूटी टूटी साँसन की जयमाल
टूटी साँसन की जयमाल सखी री
जब वो आएं मेरे द्वारे कहना उनसे
उड़ता पाखी उन्हें पुकारे
सूखे फूल से खुशबू यूँ तो उड़ जाती है
याद तुम्हारी मेरे दिल से कभी गयी ना
और आस भरे ये नैन अभी तक बाट निहारें
राह तुम्हारी तक तक कर अब देर हो गयी
नयन मूँद कर लेटी दो पल
ना जानो अबेर हो गयी
इस सृष्टि का ये नियम है
लगा है आना जाना
इस जनम नहीं ना सही
उस जनम भी तुमको पड़ेगा आना
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