kavita
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आज फिर कोई द्रौपदी लूटी गई है कहीं
आज फिर कोई चीर हरण हुआ है
आदिम समाज का नकाब ओढ़े
आज फिर कोई चेहरा बे नकाब हुआ है
सदियों से आती रवायतों का
फिर एक बार खुलासा हुआ है
भीष्म और धृत राष्ट्रों की कमी नही थी
अब कृष्ण का भी यहाँ पर अकाल हुआ है
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