लड़की की शादी
लड़के की जाति देखी ,कुल देखा,
गोत्र देखा,कुंडली देखी , खानदान देखा ;
कमाई देखी ,व्यसन देखे
,बाप की हैसियत देखी ,मकान देखा ,
समाज में है क्या स्थान भी देखा
घर में है क्या -टीवी ,फ्रीज़,
कूलर ए सी वाशिंग मशीन तक देखा
लड़की अपनी :-
;लड़के को,उसके पूरे खानदान को
-पसंद आएगी की नहीं यहां तक देखा –
अपनी भी; हैसियत देखी
देने लायक लड़की को रूपया पैसा
धन जेवर और सामान देखा
नही देखा –
तो बस लड़के का मिज़ाज़
उसकी परवरिश का अंदाज़ नहीं देखा
उसके घर में औरत की है क्या इज़्ज़त
रिश्तों की क्या है अहमियत नहीं देखा
नहींदेखा
तो अपनी ही बेटी की चाहतों
उसके सपनो को नहीं देखा
कुछ बनने की ,उसकी ख्वाहिशों को नहीं देखा
लड़के ने जो माँगा, दे दिया;
बेटी तो अपनी थी ;उसका माँगा
देने में हिचकिचा क्यों गए—?
लड़की है निभा तो लेगी ही ,
निभाना तो होगा ही ;
निबाह लेती भी है
मगर घर नहीं बसते
टूटे सपनो और उम्मीदों औरआशाओं पर
तो मकबरे ही खड़े होते है
चाहे फिर —-
— वो ताज़महल ही क्यों न हों —
———–मंज़ूर है ?
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