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बचपन में इक बाबूजी थे —

kavita
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तुमने सहेजा मुझे तुमने सम्हाला मुझे
रास्ता हर कदम पर दिखाया मुझे
चलती राहों में जहां भी ठोकर लगी
गिरने से पहले सम्हाला मुझे
समय आने पे अपना देकर सभी
खुश रखने का सामान जुटाया सभी
आज भी उतने ही तुम सामर्थ्यवान हो
आज भी मैं हूँ वही नन्ही मुनिया

HAPPY FATHER”S DAY

याद आता है वो आंखमूंद सोने का ड्रामा करना
कि गोद में उठा के ले जाओगे
घर में ले जा कर बिस्तर पे तुम सुलाओगे
तब आँख खोल कर मुस्कुरा दूंगी मैं
और हंस कर गले से लगा लोगे तुम
छोटी छोटी सी खुशियाँ हैं बिखरी पडी
है बचपन की गठरी तेरी यादों से भरी
तेरेकिस्सोंं बिना तेरी शिक्षा बिना
अधूरा है बचपन पिता के बिना

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