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मेरी पीड़ा तू जान रहा मेरी खुशियाँ भी तेरे हाथ –

kavita
kavita
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हे शिव शंकर, हे त्रिपुरारी; मेरा मन है तेरा पुजारी ;
तू आशुतोष, तू चन्द्र्देव, तू हीअग्निदेव, तू पवनदेव ;
तू ही कण कण में व्याप्त रहा-
तू व्योम ,क्षितिज , तू रश्मीकिरण ;
तू धरती है ,तू ही रसातल
मेरी पीड़ा तू जान रहा, मेरी खुशियाँ भी तेरे हाथ
फिर क्यूँ ये मन है विकल नाथ,
जब तू संबल है, तू ही आधार ,
मुझे शक्ति दे मु,झे शक्ति दे, मुझे शक्ति दे ;ओ भोलेनाथ!
आभास कुछ आसन्न दुखों का,
मन को बेकल कर जाता है-
कुछ दुश्चिंताओं का बोझ कभी
क्यों मुझको बेबस कर जाता है?
प्रायश्चित कुछ बाकी हैं
कुछ कर्म क्षेत्र भी सन्मुख हैं
सब तेरे हाथ ;ओमेरे नाथ!सब तेरे हाथ ओ मेरे नाथ !
जीवन भी तू और मरण भी तू,
मेरा भूत भी तू और भविष्य भी तू,
फिर क्यूँ है मन घबराया सा
क्यूँ विकल है ये अकुलाया सा –
मुझे राह दिखा हे नागेश्वर ,संताप मिटा हे परमेश्वर !
कर्म प्रधान मेरा जीवन
भावों में बहता जाता है
इन भावों की इन पीड़ाओं में
मेरा मन भीगा जाता है
मुझे राह दिखा हे शक्तिपुंज, मेरा संबल बन हे शक्तिपुंज ;
तू मुझ अनाथ का नाथ बन
मेरे मन का विश्वास बन
मुझ निस्सहाय का साथ बन –
मुझको दे दे तू अपना साथ ,
थोड़ा अर्चन ,थोड़ा विश्वास ;
अंधकार में ज्योति किरण बन
आजा तू ओ मेरे नाथ और कर दे तू मुझको अशोक
कर दे तू मुझको समर्थ ,कर दे तू मुझको सज्ञान —–
हे शिव शंकर, हे त्रिपुरारी; मेरा मन है तेरा पुजारी ;
तू आशुतोष, तू चन्द्र्देव, तू हीअग्निदेव, तू पवनदेव ;
तू ही कण कण में व्याप्त रहा-
तू व्योम ,क्षितिज , तू रश्मीकिरण ;
तू धरती है ,तू ही रसातल
मेरी पीड़ा तू जान रहा, मेरी खुशियाँ भी तेरे हाथ
फिर क्यूँ ये मन है विकल नाथ,
जब तू संबल है, तू ही आधार ,
मुझे शक्ति दे मु,झे शक्ति दे, मुझे शक्ति दे ;ओ भोलेनाथ!
आभास कुछ आसन्न दुखों का,
मन को बेकल कर जाता है-
कुछ दुश्चिंताओं का बोझ कभी
क्यों मुझको बेबस कर जाता है?
प्रायश्चित कुछ बाकी हैं
कुछ कर्म क्षेत्र भी सन्मुख हैं
सब तेरे हाथ ;ओमेरे नाथ!सब तेरे हाथ ओ मेरे नाथ !
जीवन भी तू और मरण भी तू,
मेरा भूत भी तू और भविष्य भी तू,
फिर क्यूँ है मन घबराया सा
क्यूँ विकल है ये अकुलाया सा –
मुझे राह दिखा हे नागेश्वर ,संताप मिटा हे परमेश्वर !
कर्म प्रधान मेरा जीवन
भावों में बहता जाता है
इन भावों की इन पीड़ाओं में
मेरा मन भीगा जाता है
मुझे राह दिखा हे शक्तिपुंज, मेरा संबल बन हे शक्तिपुंज ;
तू मुझ अनाथ का नाथ बन
मेरे मन का विश्वास बन
मुझ निस्सहाय का साथ बन –
मुझको दे दे तू अपना साथ ,
थोड़ा अर्चन ,थोड़ा विश्वास ;
अंधकार में ज्योति किरण बन
आजा तू ओ मेरे नाथ और कर दे तू मुझको अशोक
कर दे तू मुझको समर्थ ,कर दे तू मुझको सज्ञान —–

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