तेरे बिना ज़िंदगी — kavita ...जिस्म अब ख़त्म हो और रूह को जब सांस आये .. मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको ..... ताउम्र दो ज़िंदगियों को जीते रहे हम
एक तेरे साथ इक तेरे बगैर
कुछ सपनो में थी कुछ खयालो में
कुछ गुजरे वक़्त में थी कुछ कल की यादों में
जो तेरे साथ थी वो याद रही
और तेरे बगैर थी जो उसको हम तो भूल गए
तेरी यादों का सफ़र अब भी जारी है
तेरी बातों का सफ़र अब भी जारी है
हक़ीक़त में अब जिया नहीं जाता
और सपनो कासफर अब भी जारी है
न तुझको पा ही सके
न तुझको छोड़ के जी भी सके
उम्र सारी अपनी इन उलझनो में निकाल दी हमने
ताउम्र दो ज़िंदगियों को जीते रहे हम
एक तेरे साथ इक तेरे बगैर
कुछ सपनो में थी कुछ खयालो में
कुछ गुजरे वक़्त में थी कुछ कल की यादों में
जो तेरे साथ थी वो याद रही
और तेरे बगैर थी जो उसको हम तो भूल गए
तेरी यादों का सफ़र अब भी जारी है
तेरी बातों का सफ़र अब भी जारी है
हक़ीक़त में अब जिया नहीं जाता
और सपनो कासफर अब भी जारी है
न तुझको पा ही सके
न तुझको छोड़ के जी भी सके
उम्र सारी अपनी इन उलझनो में निकाल दी हमने
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