kavita
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लड़ना किसके लिए है -?
विकास के लिए ,प्रगति के लिए (नमो)-
भ्रष्टाचार मिटाने के लिए (आप) –
या फिर ;इन दोनों के लिए ,देश के लिए ,समाज के लिए
अनादि काल से हम यही तो करते आए हैं
अपने छोटे स्वार्थों के लिए बलि अपनों की देते आए हैं
धर्म के नाम पर कोई भड़काता है, तो भड़क जाते हैं
जाति के नाम पर थोड़े से में ही उबल जाते हैं
देश बढ़ेगा- तो क्या हम न बढ़ेंगे-
भ्रष्टाचार मिटेगा -तो क्या हम न हसेंगे ?
खुदा के लिए ,भगवान केलिए
गौडके लिए, या वाहे गुरु के लिए
अब तो मान जाओ दोनों ही हो सर्वोचित
जरा अब उठ के हाथ मिलाओ
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