परिभाषाएं kavita ...जिस्म अब ख़त्म हो और रूह को जब सांस आये .. मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको ..... रिश्ते बनाये नहीं जाते –खून के
बने बनाये मिलते हैं
बिलकुल रेडीमेड कपड़ों की तरह
उनको तो बदल नहीं सकते
एक्सचेंज ऑफर में
चाहो तो उनमें फिट हो जाओ
या चाहो तो थोडा
उनको भी फिट कर सकते हो
नहीं तो कहीं पर पैसे वेस्टहोते हैं
यहाँ ज़िंदगी ही वेस्ट हो जायेगी
और फिर रेडीमेड कपड़ों की ये दूकान
हमें दे देती है एक और तोहफा
काफी कुछ मिलता जुलता रेडीमेड से
जिसे बुनते बुनते सिलते सिलते
कभी तुरपन कभी रफू करते
निकल जाती है इक उम्र
और फिर लगता है
कि सर तो ढक गया
पर हाथ अब भी खाली हैं
बदन तो सज गया और
मन तो आज भी खाली है
रिश्ते बनाये नहीं जाते –खून के
बने बनाये मिलते हैं
बिलकुल रेडीमेड कपड़ों की तरह
उनको तो बदल नहीं सकते
एक्सचेंज ऑफर में
चाहो तो उनमें फिट हो जाओ
या चाहो तो थोडा
उनको भी फिट कर सकते हो
नहीं तो कहीं पर पैसे वेस्टहोते हैं
यहाँ ज़िंदगी ही वेस्ट हो जायेगी
और फिर रेडीमेड कपड़ों की ये दूकान
हमें दे देती है एक और तोहफा
काफी कुछ मिलता जुलता रेडीमेड से
जिसे बुनते बुनते सिलते सिलते
कभी तुरपन कभी रफू करते
निकल जाती है इक उम्र
और फिर लगता है
कि सर तो ढक गया
पर हाथ अब भी खाली हैं
बदन तो सज गया और
मन तो आज भी खाली है
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