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एक अहसास पहले प्यार के नाम –

kavita
kavita
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क अहसास पहले प्यार के नाम —
इक रूमानियत सी जहन पे तारी है सपनों की दुनिया में जी रही हूँ मैं
सीने में इक हूक सी उठती है कभी तो लगता है कि जैसे तेरा खयाल आ गया
इक उलझन सी है खायालों में ,इक ख़लिश सी जगी है सीने में
इस उलझन इस ख़लिश को नाम दूँ तो क्या -?
निगाह तेरी खयालात भी तेरे हैं —-
चाहती हूँ कि न देखूँ तेरी जानिब मगर मुश्किल है —
जब भी कुछ सरगोशी सी होती है तो लगता है कि तू आ गया
नही होता है जब तू मेरे आसपास ,निगाहों को तलाश रहती है तेरी
और जब होता है मेरे सामने ,निगाहें क्यों झुकी सी जाती हैं
पलकों में तेरे सपने और दिल को तेरी चाहत है ज़रूर
ज़िंदगी भर हमसफर बन के चलने का खयाल भी है साथ-साथ
कितना मुश्किल है ;उफ –ये दिल को समझा पाना कि ;सब्र कर —
इस वक़्त तो ;सिर्फ =
रूमानियत सी ज़हन पे तारी है और सपनों कि दुनिया में जी रही हूँ मैं
इक रूमानियत सी जहन पे तारी है सपनों की दुनिया में जी रही हूँ मैं
सीने में इक हूक सी उठती है कभी तो लगता है कि जैसे तेरा खयाल आ गया
इक उलझन सी है खायालों में ,इक ख़लिश सी जगी है सीने में
इस उलझन इस ख़लिश को नाम दूँ तो क्या -?
निगाह तेरी खयालात भी तेरे हैं —-
चाहती हूँ कि न देखूँ तेरी जानिब मगर मुश्किल है —
जब भी कुछ सरगोशी सी होती है तो लगता है कि तू आ गया
नही होता है जब तू मेरे आसपास ,निगाहों को तलाश रहती है तेरी
और जब होता है मेरे सामने ,निगाहें क्यों झुकी सी जाती हैं
पलकों में तेरे सपने और दिल को तेरी चाहत है ज़रूर
ज़िंदगी भर हमसफर बन के चलने का खयाल भी है साथ-साथ
कितना मुश्किल है ;उफ –ये दिल को समझा पाना कि ;सब्र कर —
इस वक़्त तो ;सिर्फ =
रूमानियत सी ज़हन पे तारी है और सपनों कि दुनिया में जी रही हूँ मैं

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