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लिखूँ कैसे –?

kavita
kavita
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और लो ख़त्म हो गया वैलेंटाइन डे/वीक /मंथ –
जिसके लिए लिखती रही मैं-
प्रणय गीत ,प्रणय निवेदन, विरह गीत –
और लोग समझते रहे –
कि मुझे प्यार हो गया -फिर से -?
खुश हो गयी हूँ मैं ;फिर से-कैसे -?
मैंने भी लुत्फ़ लिया ,
लोगों की अकुलाहट का,
बेचैनियों का, घबराहटों का –
और लिखती रही -लिखती रही ;
मगर अब तो,
ख़त्म हो गया सब –
डे/वीक/मंथ/ प्रतियोगिता
ख़त्म हो गए शब्द /भावनाएं /इक्षाएं और जिजीविषा
कैसे लिखूं —
लिखना तो था बहुत कुछ ,
मगर अब कैसे लिखूं -?
अभी छपे नहीं परिणाम
मगर आ तो चुके हैं –
और हार गयी मैं फिर से
-ज़िंदगी की तरह
पर चलो ख़त्म हुआ सब
अब फिर से जी सकती हूँ मैं
अपनीतरह-
एक अकेली गुमनाम ज़िंदगी -!
————————बधाई
और लो ख़त्म हो गया वैलेंटाइन डे/वीक /मंथ –
जिसके लिए लिखती रही मैं-
प्रणय गीत ,प्रणय निवेदन, विरह गीत –
और लोग समझते रहे –
कि मुझे प्यार हो गया -फिर से -?
खुश हो गयी हूँ मैं ;फिर से-कैसे -?
मैंने भी लुत्फ़ लिया ,
लोगों की अकुलाहट का,
बेचैनियों का, घबराहटों का –
और लिखती रही -लिखती रही ;
मगर अब तो,
ख़त्म हो गया सब –
डे/वीक/मंथ/ प्रतियोगिता
ख़त्म हो गए शब्द /भावनाएं /इक्षाएं और जिजीविषा
कैसे लिखूं —
लिखना तो था बहुत कुछ ,
मगर अब कैसे लिखूं -?
अभी छपे नहीं परिणाम
मगर आ तो चुके हैं –
और हार गयी मैं फिर से
-ज़िंदगी की तरह
पर चलो ख़त्म हुआ सब
अब फिर से जी सकती हूँ मैं
अपनीतरह-
एक अकेली गुमनाम ज़िंदगी -!
————————बधाई

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