कुछ सवालात ज़िंदगी से – kavita ...जिस्म अब ख़त्म हो और रूह को जब सांस आये .. मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको ..... ज़िंदगी ने यूँ भी सवालात किये हैं मुझसे
ज़वाब जिनका ज़िंदगी खुद दे न सकी
उसको पाने ही की हसरत क्यूँ है -ऐ दिल
जिसे तेरी मोहब्बत का जरा भी पास नही
डूबे तो इस कदर तेरी मोहब्बत में हम
सांस लेने को भी ऊपर आ न सके
आखिरी लम्हों में समझ ये आया
कि ज़िंदगी भी बड़ी बेवफा होती है
उनकी राहों में हम दिल को बिछाये बैठे हैं
जिनको हमारी कुछ खबर ही नहीं
तुम कहाँ हो ,हम कहाँ हैं —
क्या कभी ज़िंदगी मिलाएगी हमें ?
तुझसे मिलने कि ख्वाहिश है दिल में
बरसों के शिकवे गिले हैं बाकी
डरते हैं कि तुझको देख के हम
हाल -ए-दिल न बयां कर बैठें
कहते हैं कि जोड़ियां ऊपर वाला बनाता है
किस्मतें माथे पे लिखी रहती हैं
पशेमान हूँ मैं ये सोच कर ऐ दोस्त
बनाने वाले ने दिल को बनाया ही क्यूँ है
ज़िंदगी ने यूँ भी सवालात किये हैं मुझसे
ज़वाब जिनका ज़िंदगी खुद दे न सकी
उसको पाने ही की हसरत क्यूँ है -ऐ दिल जिसे तेरी मोहब्बत का जरा भी पास नही
डूबे तो इस कदर तेरी मोहब्बत में हम सांस लेने को भी ऊपर आ न सके आखिरी लम्हों में समझ ये आया कि ज़िंदगी भी बड़ी बेवफा होती है उनकी राहों में हम दिल को बिछाये बैठे हैं
जिनको हमारी कुछ खबर ही नहीं
तुम कहाँ हो ,हम कहाँ हैं —
क्या कभी ज़िंदगी मिलाएगी हमें ?
तुझसे मिलने कि ख्वाहिश है दिल में बरसों के शिकवे गिले हैं बाकी डरते हैं कि तुझको देख के हम हाल -ए-दिल न बयां कर बैठें कहते हैं कि जोड़ियां ऊपर वाला बनाता है
किस्मतें माथे पे लिखी रहती हैं
पशेमान हूँ मैं ये सोच कर ऐ दोस्त
बनाने वाले ने दिल को बनाया ही क्यूँ है
Read Comments