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इंतज़ार

kavita
kavita
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निरंतर खोते जाने के अहसास को
इंतज़ार के पन्नो में समेट दो तो
बनती है ज़िंदगी -मेरी ज़िंदगी
समय के बादल से बरसती पलों की बूंदो को
,तकती ही रही चातक कि तरह ;
सालों के मेले में कोई बिछुड़ा था ,न मिला –
-इंतज़ार अधूरा ही रहा –
जो आया था, मेरा न था ,कभी चाहेगा , अपनाएगा
चाहत ही रही–डूबती- उन शामों का साया
बढता ही गया
खोये हुए का इंतज़ार ,
अब जो करूं, तो गफलत है –
कुछ हसीं लम्हों का इंतज़ार
अब जो करूं, तो गफलत है –
ये सही है  कि गलत है –
ये सही है कि गलत है –
-चलो फिर मान लेते हैं –
-इंतज़ार ही अपनी किस्मत है
चेतना
निरंतर खोते जाने के अहसास को
इंतज़ार के पन्नो में समेट दो तो
बनती है ज़िंदगी -मेरी ज़िंदगी
समय के बादल से बरसती पलों की बूंदो को
,तकती ही रही चातक कि तरह ;
सालों के मेले में कोई बिछुड़ा था ,न मिला –
-इंतज़ार अधूरा ही रहा –
जो आया था, मेरा न था ,कभी चाहेगा , अपनाएगा
चाहत ही रही–डूबती- उन शामों का साया
बढता ही गया
खोये हुए का इंतज़ार ,
अब जो करूं, तो गफलत है –
कुछ हसीं लम्हों का इंतज़ार
अब जो करूं, तो गफलत है –
ये सही है  कि गलत है –
ये सही है कि गलत है –
-चलो फिर मान लेते हैं –
-इंतज़ार ही अपनी किस्मत है
चेतना

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