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ख्वाहिश

kavita
kavita
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आँखों में छा रही थी इक धुंध सी ,कितुम आ गए
तुम ….मेरे प्यार के पहले सपने ,
पहली आशा पहली उमंग हो
सुबह की हवा का एक ताज़ा सा झोंका
रात आसमान में लटका एक अधूरा चाँद
चाहू कि हाथ बढ़ा कर छु लूं तुमको
———–पर तुम हो वहां कितनी दूर
कि ;उम्मीद भी दम तोड़ जाती है ;पर-
मिलेंगे हम जरूर ,ये आस अभी बाकी है
सालों की अमावस हमने झेली है
रोशनी चंद लम्हों की  तो रहने  दो
मरू— तो आँखों में तेरा सपना
——–होठों पे तेरा नाम हो
इतनी सी है ख्वाहिश मेरी ऐदुनिया
साँसे चलती हैं तब तलक इसे
मेरे साथ ही रहने दो .
आँखों में छा रही थी इक धुंध सी ,कितुम आ गए
तुम ….मेरे प्यार के पहले सपने ,
पहली आशा पहली उमंग हो
सुबह की हवा का एक ताज़ा सा झोंका
रात आसमान में लटका एक अधूरा चाँद
चाहू कि हाथ बढ़ा कर छु लूं तुमको
———–पर तुम हो वहां कितनी दूर
कि ;उम्मीद भी दम तोड़ जाती है ;पर-
मिलेंगे हम जरूर ,ये आस अभी बाकी है
सालों की अमावस हमने झेली है
रोशनी चंद लम्हों की  तो रहने  दो
मरू— तो आँखों में तेरा सपना
——–होठों पे तेरा नाम हो
इतनी सी है ख्वाहिश मेरी ऐदुनिया
साँसे चलती हैं तब तलक इसे
मेरे साथ ही रहने दो .

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