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एहसास

kavita
kavita
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अहसास की लम्बी उँगलियों से ,वक़्त की उन अंधी गलियों से गुजर के
तेरे चेहरे  को जब मैं छूती हूँ ,तेरे होने को महसूस करती हूँ
यादों के आईने से गुजर कर, कांपते होठो ,बढती हुई साँसों और भीगी हुई सी पलकों से
तुझको चूम लेती हूँ और तेरे होने को महसूस करती हूँ
खामोश उस पल को सीने में दफ़न कर , उन बंद गलियों के मुहाने पे जा कर
तुझको अलविदा सा कह कर, भारी कदमों से वापस जब मैं होती हूँ —-
————————————तेरे होने को महसूस करती हूँ
अहसास की लम्बी उँगलियों से ,वक़्त की उन अंधी गलियों से गुजर के
तेरे चेहरे  को जब मैं छूती हूँ ,तेरे होने को महसूस करती हूँ
यादों के आईने से गुजर कर, कांपते होठो ,बढती हुई साँसों और भीगी हुई सी पलकों से
तुझको चूम लेती हूँ और तेरे होने को महसूस करती हूँ
खामोश उस पल को सीने में दफ़न कर , उन बंद गलियों के मुहाने पे जा कर
तुझको अलविदा सा कह कर, भारी कदमों से वापस जब मैं होती हूँ —-
————————————तेरे होने को महसूस करती हूँ

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