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बयार

kavita
kavita
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कुछ दिनो से बहुत खुश हूँ मैं
ज़िंदगी खुश गवार लगती है
मोसम बदल गए है शायद
कुछ हवा कुछ बयार सी चलती है
बंद कमरे सी मन में सीलन थी
अब कुछ हवा के झोंके हैं
इक किरण है रोशनी की जीवन में
ओर कुछ बारिशों की बूंदें हैं

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